Blogएक्सक्लूसिव खबरेंभोपालमध्यप्रदेशराजधानी
Trending

जटिल प्रक्रियाओं के कारण आर डी एस एस योजना में हो रही है काफी देरी ! समय पर भुगतान नहीं होने से शासन की योजना में हो रहा है  विलम्ब, कछुआ चाल से चल रही योजना में नियत भुगतान व पोर्टलो के फेर में लग रहा है समय

 कपिलेश शर्मा की रिपोर्ट –भारत सरकार की महती योजना आर डी एस एस योजना में भारत सरकार ने पूर्व-योग्यता मानदंडों को पूरा करने और बुनियादी न्यूनतम बेंचमार्क प्राप्त करने के आधार पर आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्काम्स को परिणाम से जुड़ी वित्तीय सहायता प्रदान करके डिस्काम्स को उनकी परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद करने के लिए संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) को मंजूरी दी है | योजना का उद्देश्य एवं लक्ष्य 2024-25 तक एटी एंड सी घाटे को अखिल भारतीय स्तर पर 12-15% तक कम करना था | यहाँ एटी एंड सी घाटे से तात्पर्य बिजली वितरण कंपनियों में होने वाली कुल हानिया जिसमें तकनीकी हानियाँ (जैसे, बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण के दौरान होने वाली हानियाँ) और वाणिज्यिक हानियाँ (जैसे, बिजली चोरी, बिलिंग और वसूली में त्रुटियाँ) इत्यादि है | साथ ही वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं के लिए बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना लक्ष्य था | मगर सरकार की इस महती  योजना को 2024-25 में ही पूर्ण हो जाना लक्ष्य रखा गया था , मगर शासन की निति निर्देशन व अधिकारियों की लेट लतीफी तमाम तरह की जटिल प्रक्रियाओं के कारण व कार्य कर रही कम्पनियों को समय पर भुगतान न होने की वजह से इस योजना में कई तरह की दिक्कते आ रही है |

           योजना की देरी , कछुआ चाल के पीछे के कारण जानने की जब कोशिश  की गयी तब यह ज्ञात हुआ की  इस योजना में जो भी कम्पनिया कार्य कर रही है उनके मटेरियल एवं अन्य भुगतान का पेमेंट 60 से 72 दिनों में हो रहा है , वो भी जो मटेरियल १८ प्रतिशत जी एस टी देकर क्रय किया जा रहा है , वो बिल में जी एस टी 50 प्रतिशत काट कर दिया जा रहा है , सामग्री का भौतिक सत्यापन की भी जो प्रक्रिया है वो बी काफी जटिल है , चार अधिअकरी मिलकर सामग्री का भौतिक सत्यापन करते है , जिसमे अनेको बार चारो अधिकारियो का एक साथ होना संभव नहीं हो पाता ऐसे में दिन निकलते जाते है , जिससे कम्पनियों को भुगतान में विलम्ब होता है , भोतिक सत्यापन के बाद भी जो एम.आर डी  बनती है , ये एम आर डी भी उच्चस्थ कार्यालय को सत्यापित करवाना होती है , जिसमे भी भी विलम्ब एक कारण निकलना समाने आया है |

 पोर्टलो के फेर में उलझा भुगतान , विलम्ब का बन रहा है कारण

विश्वसनीय सूत्रों की माने तो  समस्त बिलों का भुगतान 3 से 4 पोर्टलो से होकर गुजरता है , जिसमे प्रमुख सी आई एस , जी आई एस , इ आर पी ,पोर्टल है , ये सारे बिल पोर्टलो में माध्यम से सत्याप्ति होते है  , जिसमे प्रत्येक पोर्ट पर अमूमन 4 से 5 दिनों का समय लग जाता है , उसके बाद अंतिम रूप में अबी इ साइन पोर्टल इस योजना में लाया गया है , जो की अनुसंधान में है , मगर इसे इस योजना में लागू कर दिया गया | जिसमें तमाम तरह की परेशानी आ रही है , कई बार पोर्टल चल नहीं रहे है ,तकनिकी उलझन , व कई क्षेत्रो में नेटवर्क की समस्या ,  अनेको बार उसमे समस्या आ जाती है , जिससे जिससे भी योजना में में एब्नोर्मल डिले हो रहा है |

बारिश की वजह से कुछ क्षेत्रो में प्रगति  धीमी है सुधार किया जा रहा है

योजना में देरी की की वजह के लिए जब अधीक्षण यंत्री ए के सिंह जी से बात की ई तो उन्होंने बताया की कई क्षेत्रो में कार्य धीमा है जिसमें गति लाने हेतु लगातार प्रयास जारी है , बारिश की वजह से भी कई तरह की समस्या आ रही है , ग्रामीण क्षेत्रो में लेबर की समस्या भी वर्षा के सीजन में आती है जिस वजह से भी देरी हो रही है , सिंह ने पोर्टल व शासकीय प्रक्रियाओं के विषय में आ रही समस्याओं के के विषय में बताया है की ऐसा मेरे सन्ज्ञान में नहीं आया है | यदि ऐसी कोई समस्या है तो उसे भी प्रशासकीय स्तर पर सुधारा जायेगा |

Related Articles

Back to top button