Blog

सुशीलादेवी उमरावसिंह पटेल सेवा संस्थान खरगोन बड़वानी द्वारा सिकल सेल एनीमिया* *मिशन चलाकर जनजातीय क्षेत्र में सर्वे कर, जांच शिविर के माध्यम से जागरूक कर रहे।

भीलखेड़ा विद्यालय में 85 बच्चों की हुई सिकालसेल जांच जिसमे से 5 बच्चे पाएं गए पॉजिटिव।* 

बड़वानी कपिलेश शर्मा – श्रीमती बसंती पटेल अध्यक्ष ( सुशीला देवी उमरावसिंह पटेल सेवा संस्थान ) ने कहा सिकलसेल रोग के प्रति भ्रांतियां दूर करके , रोग के बारे में सोच कैसी हो , और पूर्ण रूप से सफलता के लिए जनजागरूकता के लिए सेवा संस्थान विगत वर्षो से लगातार इस पर कार्य कर रहा है।

सिकल सेल जांच शिविरों का आयोजन समाज में सिकल सेल एनीमिया की पहचान और इसके प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।  मुफ्त जांच और परामर्श: शिविर में मुफ्त रक्त जांच के माध्यम से सिकल सेल एनीमिया की पहचान की जाती है। इससे प्रभावित लोगों को प्रारंभिक अवस्था में ही उनकी स्थिति का पता चलता है ।जागरूकता शिविर के दौरान लोगों को सिकल सेल एनीमिया के लक्षण, इसके प्रभाव और इससे बचाव के तरीकों के बारे में बताया जाता है। इससे समुदाय में जागरूकता बढ़ रही  है।उपचार – जिन लोगों में सिकल सेल एनीमिया की पुष्टि होती है, उन्हें उचित परामर्श और उपचार के बारे में जानकारी दी जाती है। इससे मरीजों को उचित चिकित्सा देखभाल मिलती है । सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित बच्चों ओर परिवार को शिविर में मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिलता है। विशेषज्ञों द्वारा उन्हें सलाह दी जाती है कि वे कैसे इस स्थिति का सामना कर सकते हैं।डेटा संग्रह, एकत्रित करके शोधकर्ताओं को सिकल सेल एनीमिया के प्रसार और इसके प्रभावों का अध्ययन करने में मदद मिलती है, जिससे बेहतर उपचार किया जा सके। ।इस प्रकार, सिकल सेल जांच शिविर समाज को स्वस्थ और जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

*बड़वानी ब्लॉक के भिलखेड़ा विद्यालय में सुशीला देवी उमरावसिंह पटेल सेवा संस्थान* *खरगोन बड़वानी के द्वारा 85 विद्यार्थियों की हुई सिकल सेल  रोग की जांच जिसमे से 5 बच्चे पाए गए पॉजिटिव।*

 

संस्था के राकेश रावत  ने बताया कि सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है। इसमें रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है व सेल का आकार गोल नहीं बनता है। जिसकी वजह से यह सेल आधे चांद या फिर हंसिए की तरह नजर आता है। इसलिए इसे सिकल (हंसिया) सेल कहते हैं।

इसके चलते बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है। सिकल सेल बीमारी से प्रभावित बच्चे की ग्रोथ सही तरीके से नहीं होती। साथ ही दूसरे बच्चों की तुलना में उसकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है।

आज भिलखेडा स्कूली बच्चों की जांच हुई। इसके बाद 31 जुलाई को बड़वानी विकास खंड के कुंडिया, वही 1 अगस्त से 9 अगस्त तक, ग्राम कसरावद,बगुद,पीपलुद,बंधान, कलाखेत,बड़गांव,आमल्यापनी, धनोरा के शासकीय माध्यमिक विद्यालयो में जांच शिविर होना है। इस दौरान ,डॉक्टर चक्रेश पहाड़िया, ओम यादव, जगदीश धनगर, रविंद्र कुलकर्णी,अनिता चौहान , स्वास्थ विभाग का अमला सहित स्कूल स्टाफ उपस्थित रहा।

Related Articles

Back to top button