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कलेक्टर साहब की साख गिराते अदने कर्मचारी, लोग हो रहे सालों परेशान। नामांतरण,सीमांकन,फील्ड बुक, ऑनलाइन तरमीम कटवाने में निकल रहे पसीने।

अमित कुमार त्रिवेदी इंदौर। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह का सख्त मिजाज किसी से छुपा नहीं हैं। किसी को भी अर्श से फर्श पर लाने की शख्सियत डीएम सिंह रखते है। लेकिन इधर कलेक्टर कार्यालय स्थित तहसीलें हो या फिर जिलेभर और आसपास की तहसीलें,वहां महीनों नहीं बल्कि सालों तक एक आम व्यक्ति नामांतरण,सीमांकन,फील्ड बुक,ऑनलाइन तरमीम कटवाने के चक्कर में पटवारी,आर आई, तहसीलदार। इधर से उधर चक्कर काटता रहता है। लेकिन उनके इतने महत्वपूर्ण काम नहीं हो पाते है। जिसकी वजह से अब यहां आने वाले किसान हो, अन्य वर्ग की जनता वह पटवारी,आर आई और तहसीलदार को ही कोसते है। इस दौरान चर्चा ही चर्चा में उन्होंने इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह तक उक्त जानकारी पहुंचाने की गुहार लगाई। कई लोग ऐसे मिले जिनका ऑनलाइन खसरा तक चढ़ाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि उक्त दिक्कतों को खुद तहसीलदार,आर आई और पटवारी इसे बढ़ा बना रहे है। जिसकी वजह जनता,किसान है, बस चप्पलें घिसी जा रही है।

 

एक पटवारी ऐसे भी,,,,,,,,,,,,,,

दरअसल इंदौर जूनी तहसील में पदस्थ एक पटवारी ऐसे भी है जो अभी खुद के द्वारा की गई आलीशान शादी की वजह से कईयों के रडार पर आ गए है। लेकिन फिर भी पटवारी जी के  मुगालते है कि बढ़ते जा रहे है।

 

कलेक्टर तक भी पहुंची है शिकायतें

इधर राजस्व अमले की अपूर्णता की जानकारी इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह तक भी पहुंची है। क्योंकि सूत्र बताते है कि फिलहाल ऐसे कई पटवारी,है जिन्हें कंप्यूटीकृत ज्ञान काफी कम है। और उनकी वजह किसान परेशान हो रहे हैं।

 

लिस्ट बनी, हो गए इधर से उधर 

कलेक्टर आशीष सिंह ने तहसील कर्मचारियों को इधर से उधर कर दिया है। जिनमें मुख्य रूप से पटवारी की संख्या ज्यादा है। क्योंकि राजस्व विभाग का उक्त अमला काम करना ही नहीं चाहता है।

 

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